Saturday, June 25, 2011

डॉ. रवि शर्मा 'मधुप' जी के सम्मान में कुछ पंक्तियां

सन 2007 में श्री राम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स में आयोजित कवि सम्मलेन में कवि के रूप में मुझे आमंत्रित किया गया था. वहीं डॉ. रवि शर्मा 'मधुप' से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था. पहली भेंट में ही वह इतनी आत्मीयता से मिले कि मैं भी आत्मीय रूप से उनका हो गया. उसी कवि सम्मलेन में उनकी शिल्प सौदर्य से सुशोभित कविताओं को सुन मन आनंदित हो उठा. अब उनके विषय में और अधिक जानने की इच्छा  हुई. उनके द्वारा हिंदी की सेवा में किये गए कार्यों को जानकार मन प्रसन्नता से भर गया. हालांकि मैं भी हिंदी का बहुत बड़ा समर्थक हूँ, हिंदी सेवा के लिए सदैव तत्पर रहता हूँ  व हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु मैंने अनेक हिंदी प्रेमियों के लिए अनेक ब्लोगों का निर्माण भी किया है ताकि वे सब इन्टरनेट पर हिंदी में लिख कर पूरे विश्व में हिंदी भाषा का प्रचार कर सकें किन्तु इस मामले में 'मधुप' से कई कदम अभी भी पीछे ही हूँ. 'मधुप' जी अपनी जीवन संगिनी डॉ. सुधा शर्मा 'पुष्प' जी के साथ विगत लगभग तीन दशकों से हिंदी की सेवा में कर्मठता से लगे हुए हैं. उनकी हिंदी भाषा पर आधारित अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. समय-२ पर विभिन्न समाचार पत्रों व पत्रिकाओं उनकी रचनाओं को पढ़ने का सुअवसर प्राप्त होता रहता है. 'दिपस डायरी', 'यमुना' 'वैज्ञानिक शिक्षा का माध्यम' आदि पत्रिकाएं उनके सम्पादन में फल-फूल रही हैं तथा कल्पांत पत्रिका के भी दो विशेषांकों ने अतिथि सम्पादक के रूप में उनका आशीष प्राप्त किया है. अनेक रेडियो नाटकों का लेखन व प्रसारण उनके द्वारा आकाशवाणी पर होता रहता है. सन 2001 से वह कृषि दर्शन का सतत संचालन कर रहे हैं. अनेक प्रतिष्ठित विद्यालयों व महाविद्यालयों में हिंदी शिक्षकों हेतु कार्यशालाओं में उन्होंने व्याख्यान दिए हैं तथा वाद-विवाद, कविता व नाटक आदि प्रतियोगिताओं के निर्णायक के रूप में अनेक बार योगदान दिया है. उन्होंने हिंदी की सेवा करते हुए अनेक गोष्ठियों, कार्यशालाओं व प्रतियोगिताओं का आयोजन किया है तथा हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु कई विचारोत्तेजक लेख भी लिखे हैं. उन्होंने भाषा विभाग द्वार आयोजित हिंदी विषयक अनेक प्रतियोगिताओं में पुरस्कार भी प्राप्त किये हैं. विद्वान होने के साथ 'मधुप' जी ह्रदय से भी बहुत भले हैं. समय-२ पर मेरी रचनाओं पर सुझाव देने के लिए अग्रज की भांति सदैव तत्पर रहते है. उनके व उनकी धर्मपत्नी 'पुष्प' जी के हिंदी सेवा अभियान में अपना योगदान देने हेतु मैंने यह ब्लॉग बनाया है. अब आप सभी समय-२ पर इस ब्लॉग के माध्यम से इन दोनों हिंदी सेवियों की रचनाओं का आनंद लेते रहेंगे. अंत में मेरी ओर से 'मधुप' जी को ढेरों शुभकामनाएं. मेरी ईश्वर से यही कामना है कि आप यूं ही कर्मठता से अपनी अर्धांग्नी 'पुष्प' जी के साथ हिंदी भाषा व साहित्य की निरतर सेवा करते रहें.

लेखक- सुमित प्रताप सिंह

2 comments:

  1. ब्लॉग के संसार में मधुप व पुष्प जी का स्वागत है.

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  2. we glad to know about Mr. Madhup & Mrs.Pushp

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